Thursday 20 March 2014

लोकतंत्र इतिहास लिख रहा।

लोकतंत्र  इतिहास लिख रहा।
युवा वर्ग का दौर दिख रहा।
       राजनीति ले रही करवटें ,
      सबके माथे पर हैं सिलवटें।
     सभी दलों के होश उड़ रहे,
     एक-दूजे पर दोष मढ़ रहे।
     परिवर्तन की  आँधी के आगे ,
     महाबली भी नहीं टिक रहा। 
लोकतंत्र ---------------------.

     जनता की अब आँख खुल गयी ,
     नेताओं की पोल खुल गयी।
     झूठे वादे नहीं चलेंगे ,
     वोट नोट से नहीं बनेंगे।
     जनता के दरबार  में आकर ,
     हर नेता अब नाक घिस रहा।
लोकतंत्र -----------------------.  
   
      'रामराज' गाँधी का सपना,
     आओ करें साकार कल्पना।
     भारत की  गरिमा लौटायें ,
     'वन्दे मातरम 'हम सब गायें।
     लोकतंत्र के महाललाट पर ,
     मतदाता फिर भाग्य लिख रहा।
लोकतंत्र इतिहास लिख रहा।
युवा वर्ग का दौर दिख रहा।

-------------------------------------

सम्पादक महोदय ,
 ' जाग  उठा जनतंत्र 'शीर्षक हेतु रचना प्रकाशन के विचार के लिए प्रेषित है।
उत्तर की  प्रतीक्षा में -
          देवेन्द्र पाल भटनागर ,
         सैक्टर -3 ,मकान  संख्या -248 /2 floor ,
          वसुन्धरा ,गाजियाबाद। (उ.प्र.)
          पिन -201012

No comments:

Post a Comment